पेसा अधिनियम बना जनजातीय समुदाय के लिए वरदान : चौपाल लगाकर सुलझा रहे हैं आपसी विवाद लगभग 8 हजार से अधिक प्रकरणों को जनजातीय समुदाय ने आपसी विमर्श में सुलझाया थाने में शिकायत किए बिना सुलझाए मामले भोपाल(मप्र), 24 जुलाई 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है। जनजातीय समुदाय के लिये राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। प्रदेश के 88 ट्राइबल ब्लॉक्स में लागू पेसा अधिनियम जनजातीय समुदाय के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस अधिनियम के अंतर्गत जनजातीय समुदाय आपसी विवादों का समाधान थानों में शिकायत दर्ज कराए बिना ही चौपालों के माध्यम से कर रहे हैं। पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन में देश में मध्यप्रदेश न केवल अग्रणी है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। जनजातीय समुदाय ने अब तक लगभग 8 हजार से अधिक विवाद प्रकरणों का चौपाल के माध्यम से निराकरण कर मिसाल पेश की है। इन मामलों में पारिवारिक जमीन संबंधी विवाद शामिल है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा लागू किए गए पेसा एक्ट का उद्देश्य भी यही है कि जनजातीय समुदाय के लोगों को छोटे-छोटे विवाद में पुलिस थाना का चक्कर ना लगाना पड़े और आपस में बैठकर ही मामले की सुलह कर लें। साथ ही उनकी परंपरा, कला संस्कृति की भी रक्षा की जा सके। पेसा अधिनियम के अंतर्गत 3 प्रकार की समितियां कर रहीं हैं काम पेसा अधिनियम के तहत प्रदेश के 88 विकासखंडों में तीन प्रकार की समितियां काम रही है। इसमें शांति और विवाद निवारण समिति, सहयोगिनी मातृ समिति और वन संसाधन योजना एवं नियंत्रण समिति शामिल है। प्रदेश में शांति और विवाद निवारण समिति की संख्या 11 हजार 639 है।
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