आज किया जाएगा ढाई क्विंटल दूध से पशुपति नाथ मंदिर में महारुद्राभिषेक

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर अवधपुरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भगवान श्री पशुपतिनाथ मंदिर पर आगामी महाशिवरात्रि को ढाई क्विंटल दूध से महारुद्राभिषेक किया जाएगा। इस मौके पर नमक-चमक का भी उपयोग किया जाएगा। इन दिनों महा शिवरात्रि के पावन पर्व को लेकर मंदिर परिसर में गत सोमवार से पांच दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार को भगवान शिव का फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया और उसके उपरांत पंच रत्न और पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया गया। शुक्रवार की मध्य रात्रि को दिव्य अनुष्ठान का क्रम जारी रहेगा।

पंडित अखिलेश रजोरिया ने बताया कि महाशिवरात्रि और प्रदोष का संयोग है। शिव योग और सर्वार्थ सिद्धियोग जैसे शुभ संयोगों का भी निर्माण हो रहा है जो कई सालों बाद बन रहा है। इस लिहाज से यह शिवरात्रि अति पावन है और शिव कृपा पाने के लिए बहुद शुभ भी। यदि आप भगवान शिव की अद्भुत कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन व्रत जरूर रखें और साथ ही इस उपवास के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए उसके बारे में भी जानिए। पंडित श्री रजोरिया ने बताया कि भगवान भोलेनाथ के अभिषेक में ढाई क्विंटल दूध और एक क्विंटल फूलों का उपयोग किया गया। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के फूलों के रस, फलों के रस के साथ बिल्व पत्र, दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, संगीत से स्नान भी कराया गया। उन्होंने बताया कि नमक चमक महारुद्राभिषेक में हर चीज की मात्रा 5 गुना अधिक होती है। इस अभिषेक का महत्व सभी अभिषेक से कई गुना अधिक होता है। इस कारण इसका फल भी सर्व फल के रूप में मिलता है। पंडित श्री रजोरिया सहित अन्य विप्रजनों की उपस्थिति में भगवान शिव का विशेष अभिषेक किया गया था। वहीं महिला मंडल के द्वारा पहले दिन भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि पशुपति नाथ मंदिर में लगातार पांच दिन भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। इसके अलावा भव्य रूप से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस मौके पर सुबह छह बजे अभिषेक का क्रम शुरू हो जाएगा, इसके पश्चात दोपहर में एक क्विंटल फूलों से बाबा का श्रृंगार, शाम चार बजे से महिला मंडल के द्वारा भजन कीर्तन किया जाएगा। वहीं छह बजे से विशेष दर्शन के पश्चात रात्रि ग्यारह बजे एक दर्जन से अधिक विप्रजनों के द्वारा नमक-चमक के साथ ढाई क्विंटल दूध आदि से भगवान शंकर का महा अभिषेक किया जाएगा। शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एक बार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रदोष पर महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस बार आठ मार्च को है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है।

 

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