दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज (23 फरवरी) द्वारका स्थित यशोभूमि में आयोजित जैन समाज के एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने पूजनीय संतों से आशीर्वाद लिया और श्रद्धालुओं से मुलाकात कर संवाद किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन धर्म के अहिंसा, सत्य और तपस्या के सिद्धांत समाज में भाईचारे और नैतिकता को मजबूत बनाते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत भी इसी आध्यात्मिकता और समरसता की वजह से और अधिक समृद्ध हुई है.
उन्होंने कहा, “दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां हर धर्म और संस्कृति को अपनाने की परंपरा रही है. जैन धर्म के सिद्धांत हमें सिखाते हैं कि प्रेम और शांति से ही समाज आगे बढ़ सकता है.”
जैन धर्म की शिक्षा और समाज पर प्रभाव
जैन धर्म भारत के प्राचीनतम धर्मों में से एक है, जिसकी बुनियाद अहिंसा, अपरिग्रह और सत्य पर टिकी हुई है. जैन संत हमेशा समाज को शांति और संयम का संदेश देते रहे हैं. महावीर स्वामी के बताए मार्ग पर चलते हुए लाखों लोग आज भी सादगी और अहिंसा का पालन करते हैं.
दिल्ली में जैन समाज का विशेष योगदान रहा है. यहां कई ऐतिहासिक जैन मंदिर हैं, जिनमें लाल किला के पास स्थित दिगंबर जैन मंदिर और पहाड़गंज का श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर प्रमुख हैं. जैन समाज ने व्यापार, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपनी खास पहचान बनाई है.
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दिल्ली के विकास और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए संकल्प
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने दिल्ली के विकास और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि सरकार सभी समुदायों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है और उनकी परंपराओं और मूल्यों को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.
मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम में शामिल होने से जैन समाज के लोगों में खुशी का माहौल दिखा. श्रद्धालुओं ने उनके विचारों की सराहना की और उनके नेतृत्व में दिल्ली को और अधिक समृद्ध बनाने की उम्मीद जताई.