सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन के स्वर्ण जयंती सभागार में शुक्रवार को विश्वविद्यालय के आधारशिला दिवस के अवसर पर “नवीन नाम पट्टिका अनावरण समारोह” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज का दिन केवल एक विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन का नहीं, बल्कि उज्जैन और संपूर्ण मध्यप्रदेश के गौरव के पुनर्जागरण का दिन है। ‘विक्रम विश्वविद्यालय’ अब ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ के रूप में नई पहचान लेकर, अपने गौरवशाली इतिहास की नई यात्रा शुरू कर रहा है। यह क्षण हम सभी के लिए गर्व और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन सदैव भारत की सांस्कृतिक राजधानी रही है। यह वह धरा है, जहाँ से ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति का प्रकाश पूरे विश्व में फैला। यह वही नगरी है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की, जहां। महाकाल का आशीर्वाद हर कण में विद्यमान है और जहां विक्रमादित्य जैसे महान सम्राट ने धर्म, न्याय और ज्ञान की प्रतिष्ठा स्थापित की।
उन्होंने आगे कहा मैं स्वयं इस विश्वविद्यालय का विद्यार्थी रहा हूँ। छात्र जीवन की अनेक स्मृतियां आज ताज़ा हो गई हैं। यह संस्था केवल शिक्षा का केंद्र नहीं बल्कि मेरे जीवन की प्रेरणा रही है। इस विश्वविद्यालय ने मुझे सामाजिक सेवा, नेतृत्व और सार्वजनिक जीवन का मार्ग दिखाया।
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन केवल शब्दों का बदलाव नहीं है बल्कि यह उस पहचान की पुनर्स्थापना भी है जो कभी उज्जैन की धरती की शान हुआ करती थीं। ‘सम्राट विक्रमादित्य’ का नाम हमारी परंपरा, संस्कृति और राष्ट्र गौरव का प्रतीक है। इस नाम के साथ विश्वविद्यालय नई ऊर्जा, नई सोच और नई दिशा में अग्रसर होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज यह विश्वविद्यालय शोध, नवाचार और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। 175 से अधिक महाविद्यालयों से संबद्ध यह संस्थान हजारों विद्यार्थियों को ज्ञान का प्रकाश दे रहा है। यह देखकर गर्व होता है कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी देश-विदेश में अपने कार्य से नाम रोशन कर रहे हैं।