राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नईदिल्ली के विज्ञान भवन में आदि कर्मयोगी अभियान पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश को सम्मानित किया। प्रदेश के प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा ने म.प्र. के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार ग्रहण किया। उन्होंने जनजातीय समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयासों पर प्रस्तुति दी। मध्यप्रदेश को आदि कर्मयोगी अभियान के क्रियान्वयन में देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रथम पांच राज्यों में स्थान मिला है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा आदि कर्मयोगी अभियान जनजाति समुदायों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रारंभ किया गया। इसका उद्देश्य जनजाति क्षेत्र में ग्राम स्तर पर नेतृत्व क्षमता का विकास करना, योजनाओं का प्रभावी अमल सुनिश्चित करना और शासन को और ज्यादा जवाबदेह बनाना है। यह अभियान सेवा, संकल्प और समर्पण जैसे मूल्यों पर आधारित है जो जनजातीय समाज को आत्मनिर्भर जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
प्रमुख सचिव जनजाति कार्य गुलशन बामरा ने मध्य प्रदेश में जनजातीय विकास की स्थिति की पर जानकारी देते हुए कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान में 1 लाख 41 हजार आदि सहयोगी काम कर रहे हैं। इसके साथ एक लाख 92 हजार आदि साथी और 1210 अशासकीय संगठन जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसका लक्ष्य तीन लाख चेंज लीडर्स तैयार करना है जो निचले स्तर पर जनजातीय विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद कर रहे हैं। जनजातीय बंधुओं की मदद के लिए 13,000 आदि सेवा केंद्र बनाए गए हैं।
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जनजाति क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शाला छोड़ने वाले बच्चों पर निगरानी रखी जा रही है। वर्तमान में माता शबरी आवासीय बालिका शिक्षा कंपलेक्स, हॉस्टल, आदर्श आवासीय स्कूल, एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल, आश्रम स्कूल, खेल परिसर मिलाकर 2,913 संस्थाएं संचालित है जिनमें 2 लाख 30 हजार विद्यार्थियों के रहने की क्षमता है। विद्यार्थियों के कौशल विकास पर भी विशेष सत्र आयोजित किए गए। मलेरिया, टीबी, एनीमिया की रोकथाम के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य कैंप आयोजित किए जा रहे हैं।