विश्व भर में अनेकों देश अपनी स्वंतत्रता के बाद, अपनी मातृभाषा के आधार पर विश्वमंच पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें भी हीन भावना से मुक्त होकर स्वाभिमान के साथ, अपनी मातृभाषा के आधार पर विश्वमंच पर सिरमौर बनने की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता है। इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा अध्यापन का महत्वपूर्ण अवसर दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा परिदृश्य में आमूलचूल परिवर्तन हो रहे हैं। भारतीय शिक्षा पद्धति, ज्ञान आधारित शिक्षा पद्धति रही है, रटने की नहीं। हम, भारतीय दर्शन के अनुरूप ज्ञान आधारित शिक्षा देकर श्रेष्ठ नागरिक निर्माण करने की दिशा में सतत् क्रियाशील हैं। भारत वेश भूषा एवं भाषाओं की विविधताओं से परिपूर्ण देश है। हमारे पूर्वजों ने सांस्कृतिक व्यवस्था स्थापित करते हुए देश की एकात्मता को मजबूत किया, इसमें भाषाएं बाध्यता नहीं बनी। भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं, तोड़ने का नहीं। भारत की सभी भाषाएं, भारत की अपनी भाषाएं हैं। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार रविवार को भोपाल स्थित रविन्द्र भवन के अंजनी सभागार में आयोजित दो दिवसीय “भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान (सभ्यता, संस्कृति और अस्मिता का सूत्र)” विमर्श कार्यक्रम का शुभारम्भ कर संबोधित कर रहे थे। परमार ने सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं।
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